Medieval India
मध्यकालीन भारत
भारत के मध्यकालीन समय मे बहुत सारे देशों ने भारत पर आक्रमण क अपना शासन काल स्थापित करना चाहते थे |भारत पर सबसे पहले अरबों का आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में किया गया था अरबों ने भारत पर पहला सफल
आक्रमण किया था । अरबों ने सिन्ध पर 712 ई. में विजय पायी थी। अरब आक्रमण के समय सिन्ध पर दाहिर का शासन था। भारत पर अरबवासियों के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन दौलत लूटना तथा धर्म का प्रचार-प्रसार करना था।
उसके बाद सन 932 ई. में अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार महमूद गजनवी ने गजनी साम्राज्य की स्थापना की, जिसकी राजधानी गजनी थी।अलप्तगीन की मृत्यु के पश्चात् कुछ समय तक ग़ज़नी में पिरीतिगीन ने शासक किया। इसी के शासनकाल (972-977 ई.) में भारत पर आक्रमण भी किया गया। प्रथम तुर्क आक्रमण के समय पंजाब में शाही वंश का शासक जयपाल शासन कर रहा था।अलप्तगीन का गुलाम तथा दामाद सुबुक्तगीन 977 ई. में गज़नीकी गद्दी पर बैठा । महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था, जिसका जन्म 1 नवम्बर, 971 ई. में हुआ था। अपने पिता के काल में महमूद गजनवी खुरासान का शासक था। महमूद गजनवी 27 वर्ष की अवस्था में 998 ई. में गद्दी पर बैठा। बगदाद का खलीफा अल-आदिर बिल्लाह ने महमूद गजनवी के पद को मान्यता प्रदान करते हुए उसे 'यमीन-उद्-दौला' तथा 'यमीन ऊल-मिल्लाह' की उपाधि दी।
महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया। महमूद के भारतीय आक्रमण का वास्तविक उद्देश्य धन की प्राप्ति था। महमूद गजनवी को मूर्तिभंजक आक्रमणकारी था। महमूद गजनवी ने भारत पर प्रथम आक्रमण 1000 ई. में किया तथा पेशावर के कुछ भागों पर अधिकार करके वह अपने देश लौट गया। महमूद गजनवी ने 1001 ई. में शाही राजा जयपाल के विरुद्ध आक्रमण किया था।
इसमें जयपाल की पराजय हुई थी।महमूद गजनवी का 1008 ई. में नगरकोट के विरुद्ध हमले को मूर्तिवाद के विरुद्ध पहली महत्वपूर्ण जीत बतायी जाती है। महमूद गजनवी ने थानेसर के चक्रस्वामिन की कांस्य निर्मित आदमकद प्रतिमा को गज़नी भेजकर रंगभूमि में कराया। महमूद गजनवी का सबसे चर्चित आक्रमण 1025 ई. में सोमनाथ मंदिर (सौराष्ट्र) पर हुआ। इस मंदिर की लूट में उसे करीब 20लाख दीनार की संपत्ति हाथ लगी। सोमनाथ की रक्षा में सहायता करने के कारण अन्हिलवाड़ा के शासक पर महमूद ने आक्रमण किया। सोमनाथ मंदिर लूट कर ले जाने के क्रम में महमूद पर जाटों ने आक्रमण किया था और कुछ सम्पत्ति लूट ली थी।महमूद गजनवी का अन्तिम भारतीय आक्रमण 1027 ई. में जाटों के विरुद्ध था। महमूद गजनवी की मृत्यु 1030 ई. में हो गयी।
मुहम्मद गौरी
महमूद गजनवी की मृत्यु के बाद मुहम्मद गौरी आये जो कि गौर महमूद गजनवी के अधीन एक छोटा-सा राज्य था । 1173 ई. में शहाबुद्दीन मुहम्मद गौरी गौर का शासक बना। इसने भारत पर पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान के विरुद्ध किया था । मुहम्मद गौरी का दूसरा आक्रमण 1178 ई. में पाटन (गुजरात) पर हुआ । यहाँ का शासक भीम-II ने गौरी को बुरी तरह परास्त किया।मुहम्मद गौरी ने भारत के विजित प्रदेशों पर शासन का भार अपने गुलामों को सेनापतियों को सौंप कर गजनी वापस लौट गया और 15 मार्च 1206 ई. को इसकी हत्या कर दी गयी |
1206 ई. मे मुहम्मद गौरी की मृत्यु के बाद सल्तनत काल प्रारंभ हो गया और कुतुबुद्दिन ऐबक ने 1206 ई. मे गुलाम वंश की स्थापना की |कुतुबुद्दिन ऐबक ने 25 जून 1206 ई. को अपना राज्याभिषेक किया था |कुतुबमीनार की नीव कुतुबुद्दिन ऐबक ने ही डाली थी|दिल्ली का कुवत-ऊल-इस्लाम मस्जिद था अजमेर की ढाई दिन का झोपड़ी नामक मस्जिद का निर्माण भी कुतुबुद्दिन ऐबक ने करवाया था | ऐबक को लाख बख्श (लाखों का दान देनेवाला) भी कहा जाता था।ऐबक की मृत्यु 1210 ई. में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हो गयी ऐबक के मृत्यु के बाद इसका उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ, जिसने सिर्फ आठ महीनों तक शासन किया है और आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा।
खिलजी वंश :
1290 से 1320 ई.
गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की। इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया।जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई.में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ा मानिकपुर (इलाहाबाद) में कर दी।22 अक्टूबर 1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना।अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था । अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी।
अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लगाये जानेवाले दो नवीन कर थे— चराई कर : जो पशुओं पर लगाया जाता था, गढ़ी कर : घरों में झोपड़ी पर लगाया जाता था। अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में 1297 से 1306 ई. तक मंगोलों के छः आक्रमण हुए। प्रथम आक्रमण 1297 ई.में कादर खाँ के नेतृत्व में, दूसरा आक्रमण 1298 ई.में हल्दी के नेतृत्व में, तीसरा आक्रमण 1299 ई.में कुतलुग ख्वाजा के नेतृत्व में, चौथा आक्रमण 1303 ई. में ताला के नेतृत्व में, पाँचवां आक्रमण 1305 ई. में अलीबेग और तार्ताक के नेतृत्व में एवं छठा आक्रमण 1306 ई. में कबक एवं इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ। अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 5 जनवरी, 1316 ई. को हो गयी। कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी 1316 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा । मुबारक खाँ ने खलीफा की उपाधि धारण की थी मुबारक के वजीर खुशरों खाँ ने 15 अप्रैल, 1320 ई. को इसकी हत्या कर दी और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
तुगलक वंश :
13201398 ई.
5 सितम्बर, 1320ई. को खुशरों खाँ को पराजित करके गाजी मलिक तुगलक गाजी गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितम्बर, 1320 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। गयासुद्दीन ने अलाउद्दीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया। इसने सिंचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया । संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था।
गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया। रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ। इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है।गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई. में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर हो गयी।
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Supab
ReplyDeleteVery nice
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