Modern India | Modern India history |History of modern india in hindi |
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Modern India history in hindi
आधुनिक भारत के इतिहास का साक्ष सन 1853 ई. से प्रारंभ होता है, उस समय युद्ध मे गुरु गोविंद सिंह ने बहादुरशाह का साथ दिया और वे विजय होकर उत्तराधिकारी बने |
बहादुर शाह का पूर्व नाम मुअज्जम था। बहादुर शाह को शाह-ए-खबर के उपनाम से पुकारा जाता था।
मुगलकालीन इतिहास में सैयद बन्धु हुसैन अली खाँ एवं अब्दुल्ला खाँ को शासक निर्माता के रूप में जाना जाता है।फर्रुखसियर को मुगल वंश का घृणित कायर कहा गया है। सुन्दर युवतियों के प्रति अत्यधिक रुझान के कारण मुहम्मद शाह को रंगीला बादशाह कहा जाता था। एक संगीतकार के रूप में मोहम्मद शाह ने उनके ख्यालों की रचना की। तुरानी सैनिक हैदर बेग ने 9 अक्टूबर, 1720 ई. को सैय्यद बन्धु हुसैन अली खाँ की हत्या कर दी।
आधुनिक भारत का इतिहास
उत्तरकालीन मुगल सम्राट एवं उनके शासनकाल
- बहादुर शाह - 1707-1712ई.
- जहांदार शाह- 1712-1713 ई
- फर्रुखसियर - 1713-1719 ई.
- मुहम्मद शाह - 1719-1748 ई.
- अहमदशाह - 1748-1754ई.
- आलमगीर- II 1754-1759 ई.
- शाह आलम- II1759-1806 ई.
- अकबर-II 18061837 ई.
मोहम्मद शाह के शासनकाल में ही हैदराबाद के चिनकिलिच खाँ ने निजाम-उल-मुल्क की उपाधि धारण की और 1725 ई. में स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। हैदराबाद की स्थापना तुरानियों ने एवं अवध की स्थापना ईरानियों ने की थी।ईरान (फारस) के सम्राट नादिरशाह ने 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। उस समय दिल्ली का शासक मुहम्मद शाह था। नादिर शाह को ईरान का नेपोलियन कहा जाता है।
नादिर शाह लगभग 70 करोड़ रुपये की धनराशि और शाहजहाँ का बनाया हुआ तख्ते ताऊस (Peacock throne) था कोहिनूर हीरा लेकर फारस वापस लौटा । तख्ते ताऊस (मयूर सिंहासन) पर बैठने वाला अंतिम मुगल शासक मुहम्मद शाह था। शाह आलम-II (अली गौहर) के शासनकाल में 1803 ई. में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया। उसके बाद पानीपत का तृतीय युद्ध 1761 ई. में मराठा एवं अहमदशाह अब्दाली की सेना के बीच हुआ। इस युद्ध में मराठों की हार हुई थी।
गुलाम कादिर खाँ ने 1806 में शाह आलम-II की हत्या करवा दी। बहादुरशाह-II (जफर) अंतिम मुगल सम्राट था।1857 ई. की क्रांति में भाग लेने के कारण अंग्रेजों द्वारा बहादुरशाह जफर को बंदी बना लिया गया एवं रंगून भेज दिया।लाल किला स्थित हीरा महल बहादुरशाह जफर ने बनवाया था। मशहूर शायर मिर्जा गालिब बहादुरशाह जफर के ही समय दिल्ली में रहते थे। हयात बक्श बाग लाल किला दिल्ली में स्थित है।
History of modern india
भारत में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों का आगमन 17 मई, 1498 ई. में वास्को-डि-गामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बंदरगाह पहुँचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की इस यात्रा में वास्को-डि-गामा को भारतीय व्यापारी अब्दुल मजीद ने सहयोग किया था। 1505 ई. में फ्रांसिस्को द अल्मेडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया।1509 ई. में अलफांसो द अल्बुकर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना। इसने 1510 ई. में बीजापुर के युसुफ आदिल शाह से गोवा को जीता।
पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी कोचीन में खोली। दक्षिण पूर्वी तट पर पुर्तगालियों की एक मात्र बस्ती सन-थोमे थी। पुर्तगालियों के बाद भारत में डच लोग आए। पहला डच यात्री कार्नेलियन हाऊटमैन (Cornelis de Houtman) 1596 ई. में भारत के पूर्व सुमात्रा पहुँचा। डचों ने भारत में अपनी प्रथम व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री ) 1605 ई. में मसूलीपट्टम में स्थापित की। डचों की दूसरी व्यापारिक कोठी पुलीकट में स्थापित हुई जहाँ उन्होंने अपने स्वर्ण सिक्के (पैगोडा) को ढाला और पुलीकट को ही समस्त गतिविधियों का केन्द्र बनाया।
डच के द्वारा स्थापित कुछ कंपनियां....
- पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कम्पनी 1498 ई.
- अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी 1600ई
- डच ईस्ट इंडिया कम्पनी 1602 ई.
- डैनिश ईस्ट इंडिया कंपनी 1616ई.
- फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी 1664 ई.
- स्वीडिश ईस्ट इंडिया कम्पनी 1731 ई.
डचों ने भारत में प्रथम बार औद्योगिक वेतन भोगी रखे। डचों का भारत में अन्तिम रूप से पतन 1759 ई. को अंग्रेजों एवं डचों के मध्य हुए वेदरा युद्ध से हुआ। 31 दिसम्बर, 1600 ई. को इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को अधिकार-पत्र प्रदान किया। प्रारंभ में ईस्ट इंडिया कम्पनी में 217 साझीदार थे और पहला गवर्नर टॉमस स्मिथ था।मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम अंग्रेज कैप्टन हॉकिन्स था, जो जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में अप्रैल 1609 ई. में जहाँगीर के दरबार में गया था।
Modern India
भारत आने वाला पहला अंग्रेज 1611 ई. में द.-पू. समुद्र तट पर सर्वप्रथम अंग्रेजों ने मसूलीपट्टम में व्यापारिक कोठी की स्थापना की। जहाँगीर ने 1613 ई. में एक फरमान जारी कर अंग्रेजों को सूरत में थॉमस एल्डवर्थ (Thomas Aldworth) के अधीन व्यापारिक कोटा (फैक्ट्री) खोलने की इजाजत दी।
पूर्वी तट पर अंग्रेजों ने अपना प्रथम व्यापारिक कोठी मसूलीपट्टम में 1611 ई. में खोला, जबकि पश्चिमी तट पर सूरत में 1613 ई. में व्यापारिक कोठी स्थापित किया। पहली बार सूरत में 1608 ई. में व्यापारिक कोठी स्थापित करने का प्रयास किया गया था। 1615 ई. में सम्राट जेम्स-1 ने 'सर टॉमस रो' को अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहाँगीर के दरबार में भेजा। फरवरी 1619 ई. तक भारत में रहा ।
1632 ई. में गोलकुण्डा के सुल्तान ने अंग्रेजों को एक सुनहला फरमान (Golden Farman)दिया जिसके अनुसार अंग्रेज सुल्तान को 500 पगोडा वार्षिक कर देकर गोलकुण्डा राज्य के बन्दरगाह पर स्वतंत्रतापूर्वक व्यापार कर सकते थे। 1639 ई. में अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चन्द्रगिरि के राजा से मद्रास पट्टे पर लिया एवं वहीं एक किलाबन्द कोठी का निर्माण किया। इस कोठी का नाम फोर्ड सेन्ट जार्ज पड़ा और यही फोर्ड सेन्ट जार्ज कालान्तर में कोरोमंडल तट पर अंग्रेजी मुख्यालय बना। 1661 ई. में पुर्तगाली राजकुमारी 'कैथरीन ऑफ ब्रेगेन्जा (Catharine of Braganza) एवं ब्रिटेन के राजकुमार 'चार्ल्स द्वितीय का विवाह हुआ। इस अवसर पर दहेज के रूप में पुर्तगालियों ने चार्ल्स-II को बम्बई प्रदान किया 1668 ई. में चार्ल्स-II ने बम्बई को 10 पौंड के वार्षिक किराये पर ईस्ट इंडिया को दे दिया। 1687 ई. में अंग्रेजों ने पश्चिमी तट का मुख्यालय सूरत से हटाकर बम्बई को बनाया।
फ्रांसीसियों का आगमन
भारत में फ्रांसीसियों की प्रथम कोठी फ्रैंको कैरों के द्वारा सूरत में 1668 ई. में स्थापित की गयी । बंगाल के शासक शाहशुजा ने सर्वप्रथम 1651 ई. में अंग्रेजों को व्यापारिक छूट की अनुमति दी। इस अनुमति को निशान कहते थे। 1698 ई. में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने तीन गाँव-सूतानुती, कालीकट एवं गोविन्दपुर की जमींदारी 1200 रुपये भुगतान कर प्राप्त की और यहाँ पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया चार्ल्स आयर फोर्ट विलियम के प्रथम प्रेसीडेन्ट हुए। कालान्तर में यही कलकत्ता (कोलकाता) नगर कहलाया, जिसकी नींव जॉर्ज चारनौक ने रखी। 1674 ई. में फ्रांसीसी कम्पनी के निदेशक फ्रेंक्विस मार्टिन ने वालिकोंडापुर के सूबेदार शेर खाँ लोदी से पुदुचेरी नामक एक गाँव प्राप्त किया, जो कालान्तर में पाण्डिचेरी के नाम से जाना गया। प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 ई. में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित था। 1748 ई. में हुई ए-ला-शापल की संधि के द्वारा आस्ट्रिया का उत्तराधिकार युद्ध समाप्त हो गया और इसी संधि के तहत प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हुआ।
निष्कर्ष - आज मैंने आपलोगों को Modern India history के बारे में जानकारी दी, आशा krta हूँ कि जो जानकारी मैंने दी है आपलोगों को वो आपलोगों के लिए मददगार साबित हुआ हो |
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धन्यवाद |
Amazing..
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