The physical nature of India | भारत का भौतिक स्वरूप |
भारतीय भूगोल : भारत का भौतिक विभाजन
देश के कुल क्षेत्रफल के 10.7% भाग पर उच्च पर्वत-श्रेणियाँ है जिनकी ऊँचाई समुद्र तल से 2,135 मीटर या उससे अधिक है। 305 मीटर से 2,135 मीटर की ऊँचाई वाली पहाड़ियाँ 18.6% भू-भाग पर फैली हैं। 43% भूभाग पर विस्तृत मैदान का विस्तार है।
भौतिक रचना तथा धरातल के स्वरूप के अनुसार भारत को पाँच भागों में बाँटा गया है-
1. उत्तरी पर्वतीय मैदान
2. विशाल मैदान
3. प्रायद्वीपीय पठार
4. मरुस्थलीय प्रदेश
5.समुद्र तटीय मैदान।
भू वैज्ञानिकों के मतानुसार जहाँ आज हिमालय पहाड़ है, वहाँ टेथिस नामक उथला समुद्र था । हिमालय की उत्पत्ति के संबंध में आधुनिक सिद्धान्त प्लेट विवर्तनिक हिमालय की पर्वत-श्रेणियाँ प्रायद्वीपीय पठार की ओर उत्तल एवं उत्तर के पर्वतीय क्षेत्र को चार प्रमुख समांतर पर्वत श्रेणी क्षेत्रों में बांटा जा सकता है ट्रांस हिमालय क्षेत्र : के अंतर्गत काराकोरम, लद्दाख, जास्कर आदि पर्वत-श्रेणियाँ आती हैं। K-2 या गॉडविन आस्टिज (8,611 m) काराकोरम की सर्वोच्च चोटी है जो भारत की सबसे ऊँची चोटी हैं।
कश्मीर हिमालय करेवा के लिए प्रसिद्ध है, जहां जाफरान की खेती की जाती है। करेवा चिकनी मिट्टी और दूसरे पदार्थों का हिमोढ़ पर मोटी परत के रूप में जमाव है। वृहद हिमालय में जोजीला, पीरपंजाल में बनिहाल, जास्कर श्रेणी में फोटुला, लद्दाख श्रेणी में खर्दुगला जैसे दर्रे स्थित हैं। कश्मीर हिमालय क्षेत्र में ही मीठे जल की झील डल एवं वुलर एवं खारे जल की झील पांगोंग सो और मुरारी स्थित है।
हिमाद्रि अर्थात सर्वोच्च या वृहद हिमालय या हिमालय की सबसे पणी है। इसकी औसत ऊँचाई 6,000 मीटर है। विश्व की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट (नेपाल) इसी पर्वत श्रेणी में स्थित है। कंचनजंगा नंगा पर्वत, नंदादेवी, कॉमेट एवं नामचा बरवा आदि इसके कुछ महत्वपूर्ण शिखर हैं।
बहरहय हिमालय लघु हिमालय से मेन सेंट्रल थ्रस्ट के द्वारा अलग होती है। हिमाचल श्रेणी स्यात् लघु या मध्य हिमालय। इस श्रेणी में पीर पंजाल, धौलाधर, मसूरी, नागटिब्बा एवं महाभारत श्रेणियाँ है। हद व लघु हिमालय के मध्य कश्मीर घाटी, लाहौल-स्पीति, कुल्लू वह कान्हा की घाटियाँ मिलती है। यहाँ अल्पाइन चारागाह है जिन्हें कश्मीर घाटी में मर्ग (गुलमर्ग, सोनमर्ग) तथा उत्तराखंड में दयाल या पयार कहा जाता है।
भारत का भौतिक स्वरूप
शिमला, कुल्लू, मनाली, मंसूरी, दार्जिलिंग आदि लघु हिमालय में ही है। लघु हिमालय शिवालिक से मेन बांसी फॉल्ट शिवालिक अर्थात् निम्न या बाह्य हिमालय: यह हिमालय का नवीनतम भाग है। शिवालिक एवं लघु हिमालय के बीच कई घाटियाँ जैसे-काठमांडू घाटी। पश्चिम में इन्हें दुनिया द्वार कहते हैं।
जैसे देहरादून और हरिद्वार शिवालिक के निचले भाग को तराई कहते हैं। अरावली की पहाड़ियाँ राजस्थान राज्य में हैं। यह सबसे पुरानी चट्टानों से बनी है। इस पहाड़ी की सबसे ऊँची चोटी माउण्ट आबू पर स्थित गुरुशिखर है। इसकी ऊंचाई 1,722 मी. है। अरावली के पश्चिमी ओर से माही एवं लूनी नदी निकलती है। लूनी नदी कच्छ के रण में गायब हो जाती है।
अरावली के पूर्व की ओर बनास नदी निकलती है। ऐसी नदी जो जमीन में ही लुप्त हो जाती है। मालवा का पठार, पश्चिमी मध्य प्रदेश एवं दक्षिण-पूर्व राजस्थान राज्य में है। यह ज्वालामुखीय चट्टानों का बना हुआ है। इससे चिप्स और बेतवा नदी निकलती है। विंध्याचल का पठार झारखंड, उत्तर प्रदेश एवं दक्षिण-पूर्व राजस्थान राज्य में है। यह परतदार चट्टानों का बना है।
विंध्याचल पर्वतमाला उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करता है। मैकाल पठार छत्तीसगढ़ में है। मैकाल पहाड़ी का सर्वोच्च शिखर अमरकंटक (1,036 मीटर) है। यह पुरानी चट्टानों का बना एक खलॉक पर्वत है। इसके पश्चिम की ओर से नर्मदा नदी, उत्तर की ओर से सोन नदी और दक्षिण की तरफ से महानदी निकलती है। छोटानागपुर स्थित राँची का पठार समप्राय मैदान का उदाहरण है। छोटा नागपुर पठार को 'भारत का रूर (खनिज भंडार की दृष्टि से यह भारत का सबसे सम्पन्न) भी कहा जाता है।
भारत का भौगोलिक स्वरूप
इसके पूर्वी हिस्से से ताप्ती नदी निकलती है। पश्चिमी घाट, यह पर्वत ताप्ती नदी के मुहाने से लेकर कन्या कुमारी अंतरीप तक लगभग ।600 किमी. में विस्तृत है। इसकी औसत ऊँचाई 1,200 मी. है। पश्चिम घाट से उत्तर में गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश में गिर की पहाड़ियां मिलती है जो एशियाई सिंह के लिए विख्यात है। उत्तरी अक्षांश रेखा जो कि गोवा से गुजरती है सहयाद्रि को दो भागों में विभाजित करती है उत्तरी सहयाद्रि एवं दक्षिणी सहयाद्रि । उत्तरी सहयाद्रि के ऊपरी सतह पर बेसाल्ट लावा का निक्षेप है वहीं दक्षिणी सहयाद्रि आ किस युग की ग्रेनाइट तथा नीस चट्टानों से बना है। उत्तरी सहयाद्रि एवं दक्षिणी सहयाद्रि की सर्वोच्च शिखर क्रमशः कलसुबाई 64 मी) एवं कुमुख (1,892 मी.) है।
महाबलेश्वर (1,4.36 मी.) उत्तरी सहयाद्रि की दूसरी प्रमुख चोटी है। महाबलेश्वर का उच्चतम बिन्दु विल्सन चाइन्ट है। आर्यर सीट पाइंट, नीडल प्वाइन्ट (एलीफैंट प्याइन्ट) महाबलेश्वर में ही है। महाबलेश्वर से पांच नदियाँ कृष्णा, सावित्री, वेण्णा, गायत्री एवं कोयना निकलती है।
दक्कन का पठार महाराष्ट्र राज्य में है। यह ज्वालामुखीय बेसाल्ट चट्टानों का बना है। यह काली मिट्टी का क्षेत्र है। इस पठार के पूर्वी भाग को विदर्भ कहा जाता है। धारवाड़ का पठार कर्नाटक राज्य में है यह परिवर्तित चट्टानों से बना है। इस पठार के पश्चिमी भाग में बाबा बुदन की पहाड़ी तथा ब्रह्मगिरि की पहाड़ी है। नीलगिरि की पहाड़ी तमिलनाडु में है, जो एक ब्लॉक पर्वत है। यह मुख्यतः चारनोकाइट पठार से बनी है। इसकी सबसे ऊँची चोटी डोडाबेट्टा (2,637 मीटर) है, जो दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है। उटकमंड इसी पहाड़ी पर है। -
तमिलनाडु राज्य में नीलगिरि के दक्षिण भाग में पाल घाट है। पाल घाट गैप (Pal ghat gap) पश्चिम एवं पूर्वी घाट का मिलन-स्थल है। अर्थात् पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट के मिलन स्थल पर नीलगिरि पहाड़ी स्थित है। इसके पार फैली कार्डमम की पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट का विस्तार मानी जाती है। अन्नामलाई की पहाड़ी पर स्थित दक्षिण भारत की सबसे ऊँची चोटी अनैमुदि (ऊँचाई 2.696 मीटर) है।
भारत का भूगोल
आंध्र प्रदेश और ओडिशा के तटीय भाग में महेन्द्रगिरि की पहाड़ी है। भारत के पूर्वी समुद्री तट को निम्न भागों में बाँटा गया है 1. कन्याकुमारी से कृष्णा डेल्टा तक का तट कोरोमंडल तट, 2. कृष्णा डेल्टा से गोदावरी डेल्टा तक का तट गोलकुंडा तट एवं 3.गोदावरी डेल्टा से लेकर उत्तरी तटीय भाग उत्तरी सरकार तट कहलाता है।
भारत के पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख बन्दरगाह हैं पारादीप (ओडिशा), कोलकाता (प. बंगाल), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश), चेन्नई. तूतीकोरिन एवं एन्नोर (तमिलनाडु)। विशाखापत्तनम बंदरगाह डॉल्फिन नोज पहाड़ी के पीछे सुरक्षित है। पूर्वी तट पर स्थित प्रमुख लैगून है पुलीकट (चेन्नई), चिल्का (पुरी) तथा कोलेरू (आंध्रप्रदेश) इटलैगून समुद्र क्षेत्र में तटीय क्षेत्र का पानी स्थल भाग में घुस जाता है और धीरे धीरे बालू का अवरोध खड़ा कर देने पर स्थलीय क्षेत्र का जलीय भाग समुद्र से अलग हो जाता है। इसी जलीय आकृति को लैगून कहते हैं।
मालाबार तट पर अनेक पश्च जल है, जिसे स्थानीय भाषा में कयाल (Kayal) कहते हैं। कयाल मछली पकड़ने और अंतः स्थलीय निकाय के लिए प्रयोग किया जाता है और पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है। केरल में हर वर्ष प्रसिद्ध नेहरू ट्राफी वलामकाली (नौका दौड़)का आयोजन पुन्नामाडा कयाल में किया जाता है। भारत में दो द्वीप-समूह हैं-
1. अंडमान-निकोबार द्वीप-समूह (मरकत द्वीप)
2. लक्षद्वीप द्वीप-समूह।
अंडमान-निकोबार द्वीप-समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है जो क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा केन्द्रशासित प्रदेश है। इसमें करीब 247 छोटे-छोटे द्वीप हैं। निकोबार में 19 द्वीप हैं। ये द्वीप वास्तव में समुद्र में डूबे हुए पर्वत के शिखर हैं। लैंडफॉल द्वीप अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का सबसे उत्तरी द्वीप है। कोको जलमार्ग से म्यांमार के कोको द्वीप से अलग करता है, जहाँ चीन ने निगरानी तंत्र लगाया हुआ है।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर दक्षिणी अंडमान में स्थित है। ट: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मैंग्रोव वन, सदापर्णी वन एवं पर्णपाती वनों का संयोजन है। बंगाल की खाड़ी में नदियों ने जलोढ़ मिट्टी के निक्षेप द्वारा की द्वीपों का निर्माण किया है । हुगली के निकट 20 किमी लम्बा सागर द्वीप है, जिसे गंगासागर के नाम से जाना जाता है। यहाँ न्यू मूर नामक द्वीप का निर्माण हाल ही में हुआ है। सुन्दरवन जो गंगा का डेल्टा है, में मैंग्रोव वन पाए जाते हैं।
Bhut khub..
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