भारतीय स्वतंत्रता संग्राम | भारत का स्वतंत्रता संघर्ष | भारत का स्वतंत्रता संग्राम पर निबंध |
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम | भारत का स्वतंत्रता संघर्ष | भारत का स्वतंत्रता संग्राम पर निबंध |
भारत की स्वतंत्रता संग्राम देश की आजादी के लिए किये गये संघर्षों की व्याख्यान करता है, कितने संघर्षों का सामना किया है हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने उनकी कुर्बानियों का संक्षिप्त विवरण प्रदर्शित करता है | तब जाकर के हमारा देश को एक लम्बें स्वतंत्रता संग्राम के बाद 15 अगस्त 1947 को आज़ादी मिली थी |
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत
पहला अंग्रेज विरोधी संघर्ष संन्यासियों के द्वारा शुरू किया गया संन्यासी-विद्रोह का उल्लेख 1887 ई. में दादा भाई नौरोजी ने इंग्लैंड में भारतीय सुधार समिति की स्थापना की। 1887 ई. के बाद दत्त एवं वाचा नेधन निकास के सिद्धान्त का प्रतिपादन किया। 1892 ई. में चुनाव जीता था।
लॉर्ड कर्जन ने 1905 ई. को बंगाल-विभाजन के निर्णय की घोषणा की। बंगाल-विभाजन के विरोध में 1905 1905 को प्रभावी हुआ। इस दिन पूरे बंगाल में शोक दिवस मनाया गया स्वदेशी आन्दोलन में वन्दे मातरम्, विभाजन नहीं चाहिए एवं बंगाल एक है आदि नारे लगाये गये।
भारत की आजादी का इतिहास
1906 में कलकत्ता में हुए कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए दादाभाई नौरोजी ने पहली बार स्वराज्य की माँग प्रस्तुत की। स्वदेशी आन्दोलन चलाने के तरीके को लेकर ही काँग्रेस 1907 ई. के सूरत अधिवेशन में उग्रवादी (गरम दल) एवं उदारवादी (नरम दल) नामक दो दलों में विभाजित हो गयी । इस सम्मेलन की अध्यक्षता रासबिहारी बोस ने की थी।स्वदेशी आंदोलन के अवसर पर ही रवीन्द्र नाथ ठाकुर ने अपना प्रसिद्ध गीत आमार सोनार बंगला लिखा । बाद में यही गीत बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत बना।
बाल गंगाधर तिलक पहले कांग्रेस नेता थे, जिन्होंने देश के लिए कई बार जेल की यात्रा की। 1897 में राजद्रोह के आरोप में 18 माह की कारावास हुई। फिर 1908 में राजद्रोह के आरोप में 6 वर्ष की कारावास हुई। 1908 से 1914 तक बर्मा के मॉडले जेल में 6 वर्ष काटने पड़े। प्लेग के समय की ज्यादतियों से प्रभावित होकर पूना के चापेकर बन्धुओं (दामोदर एवं बालकृष्ण) ने प्लेग अधिकारी रैंड एवं एयर्स्ट की हत्या कर दी। बंगाल में क्रांतिकारी विचारधारा को वारीन्द्र कुमार घोष एवं भूपेन्द्रनाथ दत्त ने फैलाया।
1893 ई. का वर्ष : एक संग्राम बिन्दु
1893 ई. में स्वामी विवेकानंद अमेरिका के शिकागो नगर पहुँचे। सितम्बर, 1893 ई. में वहाँ पर हो रहे सर्व धर्म सम्मेलन में पहले ही दिन उन्हें दो मिनट बोलने का समय दिया गया था। जैसे ही उन्होंने अपने वक्तव्य का संबोधन 'अमेरिका के भाइयों और बहनों' के साथ शुरू किया, तालियों की गड़गड़ाहट ने न केवल उन्हें, बल्कि भारत को विश्व के सर्वोच्च देशों में लाकर खड़ा कर दिया।
1893 ई. में 14 वर्ष के बाद योगीराज अरविन्द घोष (1872-1950 ई.)की भारत भूमि पर वापसी हुई। 1893 ई. में उन्होंने एक लेखमाला न्यू लैंप फॉर ओल्ड' प्रकाशित किया। 16 नवम्बर, 1893 को एनी बेसेंट (1847-1933 ई.) भारत आई। वे वाराणसी शहर में रहने लगीं। उन्होंने भारतीयों से कहा कि, "मैं हृदय से तुम्हारे साथ हूँ और संस्कृति से भी मैं तुम्हीं लोगों में से एक हूँ।" 1893 ई. में महात्मा गांधी 18691948 ई.) अब्दुल्ला सेठ नामक व्यापारी के मुकदमे में दक्षिण अफ्रीका गए।
स्वतंत्रता संग्राम मे महात्मा गांधी का योगदान
भारत को आज़ादी दिलाने मे महात्मा गांधी जी ने बहुत आंदोलन किये |महात्मा गांधी ने पहली बार भूख हड़ताल अहमदाबाद मिल मजदूरों के हड़ताल (1918 ई.) के समर्थन में की थी। गांधी जी ने 1918 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले में आन्दोलन चलाया। 19 मार्च, 1919 ई. को रौलेट एक्ट लागू किया गया। इसके अनुसार किसी भी संदेहास्पद व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये गिरफ्तार किया जा सकता था, परन्तु उसके विरुद्ध 'न कोई अपील, न कोई दलील और न कोई वकील' किया जा सकता था।गाँधी ने इस कानून के विरुद्ध 6 अप्रैल, 1919 ई. को देशव्यापी हड़ताल करवाई।
जलियांवाला बाग हत्याकांड: अप्रैल, 1919
13 अप्रैल, 1919 ई. को अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ। डॉ. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में हो रही जनसभा पर जेनरल R.E.H डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ चलवायी। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार इसमें 379 व्यक्ति एवं काँग्रेस समिति के अनुसार लगभग 1000 व्यक्ति मारे गए उस समय पंजाब का लेफ्टिनेंट गवर्नर सर माइकल ओ डायर था। जालियाँवाला बाग हत्याकांड में हंसराज नामक भारतीय ने डायर का सहयोग किया था।
जालियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में महात्मा गांधी ने 'केसर-ए-हिन्द' की उपाधि, जमनालाल बजाज ने 'राय बहादुर' की उपाधि एवं रवीन्द्र नाथ टैगोर ने 'सर' की उपाधि वापस लौटा दी।जालियाँवाला बाग हत्याकांड की जाँच के लिए सरकार ने 19 अक्टूबर,1919 ई. में लार्ड हंटर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया।इसमें पाँच अंग्रेज एवं तीन भारतीय (सर चिमन लाल शीतलवाड़,साहबजादा सुल्तान अहमद एवं जगत नारायण) सदस्य थे।काँग्रेस ने जलियांवाला बाग हत्याकांड की जाँच के लिए
खिलाफत आंदोलन
खिलाफत आंदोलन भारतीय मुसलमानों का मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध विशेषकर ब्रिटेन के खिलाफ तुर्की के खलीफा के समर्थन में आंदोलन था। 1919 को समूचे देश में '1919 ई. को हिन्दू और मुसलमानों की एक संयुक्त कांफ्रेंस हुई, जिसकी अध्यक्षता महात्मा गांधी ने की। रौलेट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड और खिलाफत आंदोलन के उत्तर में गाँधीजी ने 1 अगस्त, 1920 ई. को
आज़ादी की विचारधारा
मुस्लिम लीग की कौंसिल की बैठक माउंटबेटन योजना पर विचार करने के लिए 10 जून, 1947 को नई दिल्ली में बुलाई गई। लीग ने भारी बहुमत से इस योजना को स्वीकार किया। लीग की बैठक में उपस्थित 400 सदस्यों में से सिर्फ 10 सदस्यों ने इसका विरोध किया 4 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद में भारतीय स्वाधीनता विधेयक पेश किया गया। 15 जुलाई को बिना किसी संशोधन के हाउस ऑफ कॉमन्स द्वारा और 16 जुलाई को हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा पास कर दिया गया। 18 जुलाई, 1947 ई. को उस पर ब्रिटिश सम्राट् के हस्ताक्षर हो गए। इसके अनुसार देश को 15 अगस्त, 1947 ई. को दो डोमिनियनों—भारत और पाकिस्तान में बाँट दिया जाएगा। दोनों डोमिनियनों को पूरी स्वतंत्रता तथा प्रभुसत्ता सौंप दी जाएगी। 14 अगस्त को पाकिस्तान अधिराज्य और 15 अगस्त को भारतीय अधिराज्य की स्थापना होगी।और इस तरह इतने संघर्षों के बाद हमारा देश आजाद हुआ |
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Great
ReplyDeleteVery useful
ReplyDeleteGood
ReplyDeletewoow !!! really nice post. good job keep it up. भारत को प्राचीन समय से ही अनेक नामों के नाम से जाना जाता है। जैसे कि सोने की चिड़िया हिंदुस्तान आदि। आजादी से पूर्व भारत तथा पाकिस्तान एक ही देश थे। लेकिन आजादी के बाद भारत का विभाजन हो गया। भारत की आजादी का इतिहास
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